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पर्व (र्वन्)  : पुं० [सं०√पृ (पूर्ण करना)+वनिप्] १. दो चीजों के जुड़ने का संधि-स्थान। जोड़। गाँठ। जैसे—उँगली या गन्ने का पर्व (पोर)। २. शरीर का ऐसा अंग जो किसी जोड़ के आगे हो और घुमाया फिराया या मोड़ा जा सकता हो। ३. अंश। खंड। भाग। ४. ग्रंथ या कोई विशिष्ट अंश, खंड या विभाग। जैसे—महाभारत में अठारह पर्व हैं। ५. सीढ़ी का डंडा। ६. कोई निश्चित या सीमित काल। अवधि, विशेषतः अमावस्या, पूर्णिमा और दोनों पक्षों की अष्टमियाँ। ७. वे यज्ञ जो उक्त तिथियों में किये जाते थे। ८. आनन्द और उत्सव का दिन या समय। ९. वह दिन जब विशिष्ट रूप से कोई धार्मिक या पुण्य-कार्य किया जाता हो। १॰. कोई विशिष्ट अच्छा अवसर या समय। आनन्द या त्योहार मनाने का दिन। ११. उत्सव। १२. चंद्रमा या सूर्य का ग्रहण। १३. सूर्य का किसी राशि में संक्रमण काल। संक्रांति। १४. चातुर्मास्य।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पर्व (र्वन्)  : पुं० [सं०√पृ (पूर्ण करना)+वनिप्] १. दो चीजों के जुड़ने का संधि-स्थान। जोड़। गाँठ। जैसे—उँगली या गन्ने का पर्व (पोर)। २. शरीर का ऐसा अंग जो किसी जोड़ के आगे हो और घुमाया फिराया या मोड़ा जा सकता हो। ३. अंश। खंड। भाग। ४. ग्रंथ या कोई विशिष्ट अंश, खंड या विभाग। जैसे—महाभारत में अठारह पर्व हैं। ५. सीढ़ी का डंडा। ६. कोई निश्चित या सीमित काल। अवधि, विशेषतः अमावस्या, पूर्णिमा और दोनों पक्षों की अष्टमियाँ। ७. वे यज्ञ जो उक्त तिथियों में किये जाते थे। ८. आनन्द और उत्सव का दिन या समय। ९. वह दिन जब विशिष्ट रूप से कोई धार्मिक या पुण्य-कार्य किया जाता हो। १॰. कोई विशिष्ट अच्छा अवसर या समय। आनन्द या त्योहार मनाने का दिन। ११. उत्सव। १२. चंद्रमा या सूर्य का ग्रहण। १३. सूर्य का किसी राशि में संक्रमण काल। संक्रांति। १४. चातुर्मास्य।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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